आजकल पहाड़ी युवाओं और युवतियों के जुवां पर एक गीत “Jiya Kori Kori Khando” खूब चढ़ा हुआ है। जी हाँ ! गढ़वाली गीत, शीर्षक है- जिया कोरी कोरी खांदो, जिसका हिंदी अर्थ है – दिल कोर-कोर के खोखला कर रहा है यानि दिल कुरेद -कुरेद कर परेशान कर रहा है। सुन्दर अभिनय, मनमोहक दृश्य, संगीत, लिरिक्स और रैप ये सभी गीत को नई ऊंचाइयां प्रदान कर रहे हैं।
इस गीत को अपने मधुर स्वरों से सजाया है प्रसिद्ध लोक गायक किशन महिपाल ने। मशकबीन यूट्यूब चैनल से रिलीज़ इस गीत के वीडियो में अभिनय किया है तनु रावत और अनूप परमार ने।इस गीत के लिरिक्स लिखे हैं आशीष नेगी के और संगीत और रिदम दिया है अश्वजीत और रणजीत सिंह ने। वीडियो शूटिंग बद्रीनाथ, माणा की मनमोहक वादियों के अलावा CIMS College Dehradun परिसर में हुई है।
यहाँ हम इस गीत के लिरिक्स और भावार्थ आप सभी की सुविधा के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं, ताकि हम गढ़वाली भाषा में लिखे इस गीत को समझ सकें।
Jiya Kori Kori Khando Lyrics
हिवाल्यूं का डांडा कांठा
कख तेरु गौं, मन त्वेमा लेगे मेरु
त्वे खुज्योंणु छो
(भावार्थ : नायक अपनी नायिका से पूछता है- हिमालय के किस पर्वत-चोटी पर आपका गांव है ? मेरा मन आप में ही रमा हुआ है इसलिए मैं आपको खोज रहा हूँ। )
फ्योंली सी पिंगाली छोरी, क्या च तेरु नौं
लाल बुरांससि शर्म गे, त्वे देखि की हो
मन त्वे बिना नि रांदो, रांदो
जिया कोरी कोरी खांदो, खांदो
(पहाड़ों में खिलने वाले फूल प्योंली के सामान पीली यानी खूबसूरत आपका नाम क्या है ? आपकी इस खूबसूरती को देखकर लाल बुरांस भी शरमा जाते हैं। मेरा मन आपके बिना नहीं रह सकता है और मेरा दिल कुरेद-कुरेद कर परेशान या खोखला कर रहा है। )
यो मन त्वे बिना नि रांदो, रांदो
जिया कोरी कोरी खांदो, खांदो रे
हे अजमाल्या गजमाल्या चांदनै की तार
मन त्वे लेगे मेरु, ह्वेगे त्वे से प्यार
हे अजमाल्या गजमाल्या चांदनै की तार, तार मन त्वे लेगे मेरु ह्वेगे त्वे से प्यार
(यानी सुन्दर (अजमाल्या) सजी धजी (गजमाल्या) चांदनी के तार जैसी। , मेरा मन आपसे लग गया है। मुझे आपसे प्रेम हो गया है। )
हे जिया बसी आँखि तेरी जिया बसी दांती
जिया की जुन्यली जून तू जुन्यली रात
मन त्वे बिना नि रांदो, रांदो
मन कोरी कोरी खांदो, खांदो
(आपकी सुन्दर आंखें और दाँत मेरे दिल में बस गए हैं। वहीं आप मेरे दिल के चांदनी का चाँद हो। )
हँसी राणों मिठ बुलाणों कखि नि लाणों गाणों
द्वी दिना कि ज्वानी छोरी , फिर बुड्या है जाणों
हे रुमझुम,ठुम-तुम तेरो आणो जाणों
बग्याली बसंत फुल्युं रूप तेरो स्वाणों
मन चोरी कि ले जांदो जांदो,
जिया कोरी कोरी खांदो खांदो रे।
(हँसते रहना , मीठा बोलना, किसी को भी गलत नहीं अनुभव कराना। दो दिन की जवानी फिर बूढ़ा हो जाना। आपका रुमझुम और ठुमक ठुमक कर आना , बसंत के फूलों सा खिला आपका रूप मेरे मन की चोरी कर रहा है। )
गंजयाली को गांज गेल्या गंजयाली को गांज
तेरी माया की झौळ छोरी मजा बड़ो आंदो
गंजयाली को गांज गेल्या गंजयाली को गांज
तेरी माया की झौळ छोरी मजा बड़ो आंदो
सच तेरा सौं नि रांदो रांदो
जिया कोरी कोरी खांदो खांदो रे।
(गंजयाली – मूसल, गंजयाली को गांज यानी मूसल पर लगा लोहे का कूटने वाला भाग। नायक नायिका से कहता है – आपके प्यार की ज्वाला में मुझे बहुत की आनंद आ रहा है। आपकी सौगंध है मैं आप बगैर नहीं रह सकता, मेरा दिल कुरेद-कुरेद कर परेशान अथवा खोखला कर रहा है। )
रैप – गौल गलोबन्द टन,
हाथ में झवरी झम ,
सुरई जनि कमरी मा
आँगड़ी घागरी सजदी दन।
तेरी माया कि झौळ हाय ,
तात लगदी जिकुड़ा मा।
मेरी माया कि बात चा
या झिकुड़ी की बात चा।
यो मन त्वे बिना नि रांदो, रांदो
मन कोरी कोरी खांदो, खांदो
यह थे गढ़वाली गीत “मन कोरी कोरी खांदो, खांदो” के लिरिक्स और भावार्थ। सुधिजन इस गीत को अपने तरीके से अर्थ बता सकते हैं। यह छोटा सा प्रयास आपको अच्छा लगा तो पोस्ट को अपने प्रियजनों को भी अवश्य शेयर करें।






