Uttarayani Mela Bageshwar: हर वर्ष मकर संक्रांति के अवसर पर उत्तराखण्ड के बागेश्वर में लगने वाला मेला ‘उत्तरायणी’ अथवा ‘उत्तरैणी’ के नाम से ख्याति प्राप्त है। पौराणिक, ऐतिहासिक, धार्मिक, सांस्कृतिक और व्यापारिक महत्व को समेटे इस मेले का शुभारम्भ वर्तमान में माघ पूर्णिमा की पूर्व संध्या से हो जाता है, जो करीब सप्ताह भर चलता है। यह मेला पूरे प्रदेशभर में प्रसिद्ध है। जिसमें लाखों लोग बाबा बागनाथ की नगरी में पहुँचते हैं।
इतिहासकारों के अनुसार सरयू, गोमती और सुप्त सरस्वती के संगम पर लगने वाले इस मेले की शुरुवात चंद वंशीय राजाओं के शासनकाल से हुई। भगवान शिव के प्राचीन बागनाथ मंदिर के पास हर साल उत्तरायणी मेले का आयोजन होता है।
यह मेला सांस्कृतिक आयोजनों और व्यापार का केंद्र होता है। मेले में संगम तट पर दूर-दूर से श्रद्धालु, भक्तजन आकर मुंडन, जनेऊ संस्कार, स्नान, पूजा-अर्चना करते हैं। मकर सक्रांति के दिन सुबह से ही हजारों की संख्या में श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाने पहुंच जाते हैं। मेले में बाहर से आए हुए कलाकार खास तरह के नाटकों का मंचन करते हैं, जबकि स्थानीय कलाकार सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिए स्थानीय संस्कृति की झलक दिखाते हैं। स्कूल-कॉलेजों से आए छात्र भी रंगारंग कार्यक्रम पेश करते हैं।
संगम तट पर बाबा बागनाथ की नगरी में लगने वाले इस मेले का देश की आजादी में भी अहम रोल रहा है। मेले के दौरान ही सरयू तट पर 14 जनवरी 1921 को कुली बेगार प्रथा का अंत हुआ था। जिसके बाद से यहां पर हर साल मेले के दौरान राजनीतिक पंडाल सजते हैं। जिनके माध्यम से राजनीतिक पार्टियां अपने विचारों को जनता तक पहुंचाती हैं।
कुली बेगार प्रथा का अंत करने के लिए उत्तरायणी पर्व पर जिले के प्रसिद्ध स्वतंत्रता आंदोलनकारी श्याम लाल साह, बद्रीदत्त पांडेय, हरगोविंद पंत सहित कई आंदोलनकारियों के नेतृत्व में लोगों का हुजूम जुलूस की शक्ल में सरयू बगड़ की ओर रवाना हुआ। हुजूम में कई गांवों से आए लोग भी शामिल हुए। जनसमूह ने पहले बागनाथ मंदिर में पूजा अर्चना की। जिसके बाद हजारों लोगों का समूह कुली बेगार प्रथा बंद करो का झंडा लेकर सरयू तट पर पहुंचा।
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जल को हाथ में लेकर आंदोलनकारियों ने कुली उतार, कुली बेगार बरदायिस नहीं देने की शपथ ली। विभिन्न गांवों से आए प्रधानों ने अपने साथ लाये कुली रजिस्टर को शंख ध्वनि और भारत माता की जय के नारे के बीच फाड़कर सरयू में प्रवाहित कर दिया। जिसके बाद इस प्रथा का अंत हो गया। कुली बेगार (Kuli Begar ) समाप्त होने के बाद से हर साल उत्तरायणी में सरयू बगड़ में राजनीतिक पंडाल सजते हैं। जहां राजनीतिक दलों के नेता अपने विचार, योजनाएं लोगों तक पहुंचाते हैं।
Uttarayani Mela Bageshwar 2026 : ऐतिहासिक उत्तरायणी मेला 2026 की शुरुआत मकर संक्रांति से एक दिन पूर्व यानी दिनांक 13 जनवरी 2026 से होगी। जहाँ प्रशासनिक और राजनैतिक संरक्षण में नुमाइशखेत के मैदान में अपराह्न 2 बजे के बाद विधिवत शुभारम्भ कार्यक्रम होगा। उसके बाद दिनांक 14 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर लोग त्रिवेणी संगम पर स्नान करेंगे और सप्ताहभर बागेश्वर में उत्तरैणी मेला लगेगा।






